यह विवाद भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि और मथुरा ईदगाह मस्जिद के स्वामित्व से संबंधित है, और इसकी चर्चा सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में हो रही है। इसके पीछे की कहानी निम्नलिखित है:
- सुप्रीम कोर्ट की इनकारी तथा सुनवाई की तिथि: सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा ईदगाह मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने के खिलाफ इनकार किया है और इस मामले की सुनवाई को 9 जनवरी को रखा गया है। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्वे करने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
- मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे: श्री कृष्ण जन्मभूमि और मथुरा ईदगाह मस्जिद से जुड़े विवादित परिसर के सर्वे के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कमिश्नर की नियुक्ति का आदेश दिया था। यह सर्वे सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया है।
- सुप्रीम कोर्ट में याचिका: इस विवाद से जुड़े सभी 18 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट और यूपी सुन्नी सेंट्रल वकफ बोर्ड शामिल हैं। इन याचिकाओं का मुद्दा है कि भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे है और यह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट का सर्वे आदेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि और मथुरा ईदगाह मस्जिद से जुड़े विवादित परिसर के सर्वे के आदेश दिए थे, जो सुप्रीम कोर्ट ने इंकार किया है। इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे की प्रक्रिया को रोका है और इस मामले की सुनवाई के लिए नई तिथि तय की गई है।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुरक्षित सुनवाई: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्वे के आदेश के बाद गौरतलब है कि इसकी सुनवाई सुरक्षित रखी जाएगी और इसमें जल्दी निर्णय लिया जाएगा। यह इलाहाबाद हाईकोर्ट के विचार का एक हिस्सा है कि ज्ञानवापी मामले में सुरक्षित सुनवाई की जाएगी ताकि इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया बिना किसी अड़ंगा के जारी रह सके।
- आगे की प्रक्रिया: कल एडवोकेट कमिश्नर से सर्वे कराने के फैसले के बाद, मथुरा जन्मभूमि विवाद में और न्यायिक प्रक्रिया में बदलाव हो सकता है और मामला और ज्यादा गहरा हो सकता है।
- मथुरा विवाद की समाप्ति की उम्मीद: इसके बावजूद, विवाद का समाप्ति और स्थानीय समृद्धि के प्रति समर्पण की उम्मीद है, जो एक सांस्कृतिक और धार्मिक समृद्धि का प्रतीक हो सकती है।
यह संघटने वाले मामले में न्यायिक प्रक्रिया जारी है और इसमें सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के बीच विचार-विमर्श जारी है।