सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रेप पीड़िता के गर्भपात के मामले में आज अहम फैसला सुनाया है कि नाबालिग रेप पीड़िता का गर्भपात होगा. कोर्ट ने पीड़िता को 30वें हफ्ते में गर्भ गिराने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि ये रेप का मामला है और साथ ही पीड़िता 14 साल की है. इस असाधारण मामले को देखते हुए गर्भपात की इजाजत दी जाती है.
सीजेआई ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद दिया फैसला CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद ये फैसला दिया. मुंबई के अस्पताल की रिपोर्ट में कहा गया था कि नाबालिग का गर्भपात किया जाना चाहिए. दरअसल, महाराष्ट्र की 14 साल की रेप पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट से गर्भपात की इजाजत मांगी थी. कोर्ट ने मामले पर शुक्रवार 19 अप्रैल को शाम 4.30 बजे अर्जेंट सुनवाई की थी. शीर्ष कोर्ट ने पीड़ित का मेडिकल कराने का आदेश दिया था. पीड़ित को महाराष्ट्र के हॉस्पिटल में मेडिकल करने के आदेश दिए गए ताकि ये साफ हो कि गर्भपात का नाबालिग पर शारीरिक और मानसिक रूप से क्या असर होगा.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इजाजत से किया था इंकार
CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस मामले पर विशेष सुनवाई की थी. इस मामले में ASG ऐश्वर्या भाटी भी बेंच की मदद के लिए मौजूद रही. नाबालिग की मां ने जो याचिका दायर की है कि उनमें बॉम्बे हाई कोर्ट के 4 अप्रैल 2024 के आदेश को चुनौती दी गई. इसमें बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग को अबॉर्शन की परमिशन नहीं दी थी. इस मामले में IPC की धारा 376 और POCSO एक्ट में केस दर्ज है. CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश खारिज करते हुए नाबालिग की मेडिकल जांच का आदेश दिया था. बेंच ने कहा कि यौन उत्पीड़न को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने जिस मेडिकल रिपोर्ट पर भरोसा किया, वह नाबालिग पीड़िता की शारीरिक और मानसिक कंडीशन का आकलन करने में विफल रही है. कोर्ट में जो रिकॉर्ड पेश किए गए हैं, उससे ये बात सामने आई है.बेंच ने निर्देश दिया है कि महाराष्ट्र सरकार याचिकाकर्ता और उसकी नाबालिग बेटी को सेफ्टी के साथ अस्पताल ले जाना तय करे. जांच के लिए गठित मेडिकल बोर्ड इस बात पर भी राय दे कि क्या नाबालिग के जीवन को खतरे में डाले बिना गर्भपात किया जा सकता है ,गर्भपात का 14 साल की बच्ची की मानसिक स्थिति पर क्या असर पड़ेगा.