संसद की सुरक्षा में चर्चा: साइको-एनैलिसिस टेस्ट और उसका महत्व

नई दिल्ली: संसद की सुरक्षा में सेंध (Parliament Security Breach) लगाने वाले आरोपियों का साइको-एनैलिसिस टेस्ट (Psycho-Analysis Test) पुलिस ने करवा लिया है, ताकि उनकी सोच और मनोदशा के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाई जा सके. साइको-एनैलिसिस टेस्ट आरोपी की आदतों, उसकी समझ तथा उसके व्यवहार को जानने के लिए करवाया जाता है. आइए, अब हम आपको बताते हैं कि यह टेस्ट वास्तव में क्या होता है, और किस तरह किया जाता है. आरोपी की साइकोलॉजी (Psychology) को जानने के लिए किए जाने वाले इस टेस्ट के ज़रिये उसकी आदतों और व्यवहार के साथ-साथ उसकी समझ को भी समझने का प्रयास किया जाता है. टेस्ट के दौरान मनोचिकित्सक, यानी Psychiatrist आरोपी से ऐसे सवाल करते हैं, जिनके जवाबों के ज़रिये उनके ज़हन में घूम रही बातों और सोच को जाना जा सके, और उन्हीं जवाबों के आधार पर ही जुर्म का असल मकसद पता करने की भी कोशिश की जाती है. करीब तीन घंटे में पूरा होता है टेस्ट किसी एक शख्स का साइको-एनैलिसिस टेस्ट करीब तीन घंटे में पूरा हो जाता है, और संसद की सुरक्षा में सेंध से जुड़े मामले के सभी आरोपियों का टेस्ट CBI की रोहिणी स्थित फ़ॉरेन्सिक लैब (FSL) में करवाया गया है. सो, संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने, यानी लोकसभा की विज़िटर गैलरी से सदन में कूदकर स्मोक कैन से धुआं फ़ैला देने वाले आरोपियों सागर शर्मा, मनोरंजन डी., संसद भवन के बाहर सड़क पर वही हरकत करने वाले नीलम आज़ाद और अमोल शिंदे, तथा बाद में गिरफ़्तार किए गए ललित झा और विशाल उर्फ़ विक्‍की – सभी का साइको-एनैलिसिस टेस्ट करवाया जा चुका है, और जल्द ही उसके नतीजे सार्वजनिक हो जाने की संभावना है, जिनसे पता चल सकेगा कि इस हरकत के पीछे इनका असली मकसद क्या था

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