नई दिल्ली। मानव तस्करी को लेकर जागरुकता बढ़ाने के लिए दिल्ली के कॉलेजों, सरकारी एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों के 300 से अधिक नागरिकों ने आज वैश्विक ‘वॉक फॉर फ्रीडम’ में हिस्सा लिया। मानव तस्करी के खामोश पीड़ितों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने वाली इस मौन पदयात्रा का नेतृत्व द मूवमेंट इंडिया और एनजीओ जस्टिस वेंचर्स इंडिया ने किया। इसमें शामिल होने वाले संस्थानों में हंसराज कॉलेज, देशबंधु कॉलेज, मिरांडा हाउस, दयाल सिंह और अंबेडकर कॉलेज प्रमुख रहे।
दिल्ली में वॉक की शुरुआत मुख्य अतिथि किरण सेठी, सब-इंस्पेक्टर कमला मार्केट पुलिस स्टेशन और एसएचओ सीएल मीना द्वारा की गई। इस अवसर पर श्रीमती सेठी ने कहा, “नागरिकों, पुलिस और गैर सरकारी संगठनों के एक समूह के रूप में हम मानव तस्करी के खिलाफ जो पहल कर रहे हैं, उससे हम अपने समुदाय से मानव तस्करी को समाप्त होते हुए देखेंगे।
वॉक की शुरुआत में प्रतिभागियों को मानव तस्करी के संकेतों और राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबरों के बारे में शिक्षित किया गया। मसलन अगर उन्हें संदिग्ध स्थिति दिखे तो कॉल करें, जैसे 1098 (संकट में बच्चों के लिए चाइल्डलाइन हेल्पलाइन), 181 (महिलाओं के लिए राष्ट्रीय पुलिस हेल्पलाइन), और 112 (राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया)। प्रतिभागियों ने इन नंबरों को अपने फोन में सहेजा, और अपने समुदाय के भीतर मानव तस्करी को समाप्त करने में मदद करने के लिए सक्रिय कार्रवाई करने वाले सतर्क नागरिक बनने की शपथ भी ली। इसके बाद प्रतिभागियों ने आसपास की सार्वजनिक सड़कों से होते हुए सदाकत आश्रम, कुर्जी, दिल्ली तक पैदल यात्रा की और वापस लौटे।
‘वॉक फॉर फ्रीडम’ मानव तस्करी को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक समन्वित प्रयास है, जो दुनिया भर के 50+ देशों और 500+ स्थानों पर आयोजित किया गया। इस दौरान नागरिक मानव तस्करी की वास्तविकता के बारे में बताती हुईं तख्तियां लेकर सड़क पर चलते हैं।
विश्व स्तर पर ‘वॉक फॉर फ्रीडम’ की मेजबानी ए-21 द्वारा की जाती है, जो आधुनिक समय की गुलामी के खिलाफ लड़ाई में एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन है। भारत में वॉक का आयोजक मुंबई स्थित ‘द मूवमेंट इंडिया’ है, जो मानव तस्करी को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रही है। मानव तस्करी के रूप में आई आधुनिक गुलामी के खिलाफ आयोजित ‘वॉक फॉर फ्रीडम’ में आज देश 14 राज्यों में 100 से अधिक स्थानों पर 30,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (2023) की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर 496 लाख लोग आधुनिक दासता के विभिन्न रूपों में फंसे हुए हैं। इनमें यौन शोषण, श्रम, अंगों के लिए शोषण, बच्चे को बेचना, जबरन विवाह और घरेलू दासता शामिल है। इसका मतलब यह है कि विश्व स्तर पर प्रत्येक 150 में से 1 व्यक्ति गुलाम है। क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (2023) के अनुसार, भारत में 2022 में हर दिन 7 बच्चों की तस्करी की गई। 2022 में हर दिन 128 बच्चे लापता हो गए, और 2022 में दर्ज किए गए मानव तस्करी के लगभग आधे मामलों में पीड़ित बच्चे थे।