प्रधानमंत्री मोदी: “बाहर की पराजय का गुस्सा उतारने के लिए लोकतंत्र के मंदिर को मंच ना बनाएं” – शीत सत्र से पहले आपत्तिजनक स्थितियों पर प्रेरित करने के लिए अपील

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र 2023 की शुरुआत से पहले सांसदों से अपील की है कि वे सकारात्‍मक ऊर्जा के साथ संसद में आएं और लोकतंत्र के मंदिर को राजनीति का मंच न बनाएं। उन्‍होंने कहा कि देश में ठंड धीमी गति से बढ़ रही है, लेकिन राजनीतिक गर्मी तेजी से बढ़ रही है।

उन्होंने तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों को जनता के जीवन को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू माना और सांसदों से सजग रहकर सकारात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के साथीयों को सत्ता समर्थक, सुशासन, और पारदर्शिता के बारे में भी तंज कसते हुए कहा कि देश ने नकारात्मकता को नकारा है और लोकतंत्र का मंदिर महत्वपूर्ण है।

पीएम मोदी ने संसदीय कार्य में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए सभी सांसदों से अनुरोध किया और उन्हें विधेयकों पर गहन चर्चा करने के लिए तैयारी के साथ संसद में आने का कहा। उन्होंने कहा कि यह सत्र एक नए मंदिर में कार्य करने का अवसर है और सभी सदस्यों को योजनाओं और मुद्दों पर गहन चर्चा करने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, “सभी समाजों और सभी समूहों की महिलाएं, युवा, हर समुदाय और समाज के किसान और मेरे देश के गरीब. ये 4 ऐसी महत्वपूर्ण जातियां हैं जिनके सशक्तिकरण, उनके भविष्य को सुनिश्चित करने वाली ठोस योजनाएं और अंतिम व्यक्ति तक पहुंच के उसूलों पर जो चलता है, उन्हें भरपूर समर्थन मिलता है.” उन्होंने विपक्ष से सहयोग की अपील की और सभी सांसदों से आग्रह किया कि वे इस सत्र में सकारात्मक भूमिका निभाएं।

 

 

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