क्या अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में जमानत मिलेगी? आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला: जानें 8 प्रमुख बातें विस्तार से
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 5 अगस्त के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह फैसला उनकी गिरफ्तारी को सही ठहराता है, जिसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली सरकार की विवादास्पद 2021-22 की आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते किया था। आज सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला सुनाएगा, जिससे यह तय होगा कि केजरीवाल को जमानत मिलेगी या नहीं। आइए, जानते हैं इस मामले से जुड़ी प्रमुख बातें विस्तार से:
1. सुनवाई की तारीख और समय:
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान शामिल हैं, 13 सितंबर को सुबह 10:30 बजे अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी। यह फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ है, जिसमें अदालत ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था।
2. अलग-अलग याचिकाएं:
अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं:
पहली याचिका उनकी जमानत की मांग के लिए है, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
दूसरी याचिका उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ है, जो CBI ने 26 जून को की थी। यह गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के आरोप में की गई थी, जिसमें केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के तहत शराब लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया।
3. दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त को अपने फैसले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को उचित ठहराया था। अदालत ने कहा कि CBI द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद जांच पूरी हो चुकी है और यह नहीं कहा जा सकता कि गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के या अवैध थी। उच्च न्यायालय ने उन्हें निचली अदालत में जाकर जमानत की याचिका दायर करने की अनुमति दी थी, लेकिन केजरीवाल ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
4. मामले का मुख्य आरोप:
यह मामला दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति से जुड़ा है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था। आरोप है कि नीति के निर्माण और क्रियान्वयन के दौरान कई अनियमितताएं की गईं और शराब के लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों ही एजेंसियों का दावा है कि नीति में बदलाव के दौरान भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत मिले हैं।
5. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भूमिका:
इस मामले में केवल CBI ही नहीं, बल्कि ED ने भी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में अलग से मामला दर्ज किया है। ED ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था और आरोप लगाया था कि आबकारी नीति के तहत लाइसेंसधारकों से अवैध तरीके से धन प्राप्त किया गया। ED का कहना है कि शराब नीति में संशोधन के दौरान बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग हुई थी।
6. अंतरिम जमानत और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
12 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को ED के मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने यह भी कहा था कि केजरीवाल ने 90 दिनों से अधिक का समय हिरासत में बिताया है। इसके अलावा, अदालत ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत “गिरफ्तारी की आवश्यकता” से जुड़े तीन महत्वपूर्ण सवालों को पांच सदस्यीय बेंच के पास विस्तृत जांच के लिए भेजा था।
7. CBI के वकील की दलीलें:
CBI के वकील और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क दिया कि केजरीवाल को पहले ट्रायल कोर्ट से जमानत की मांग करनी चाहिए थी, न कि सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इससे एक गलत मिसाल कायम हो सकती है जो निचली अदालतों का मनोबल गिरा सकती है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ट्रायल कोर्ट में जाने के लिए कहा था।
8. अरविंद केजरीवाल का पक्ष:
केजरीवाल के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है और यह गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है। उन्होंने CBI की दलील का विरोध किया और कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है और यह सब राजनीति से प्रेरित है।
9. सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं, जो कि इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा। यह फैसला केवल अरविंद केजरीवाल की जमानत से ही नहीं, बल्कि निचली अदालतों के लिए एक मिसाल कायम करने वाला भी हो सकता है। अदालत ने कहा है कि उसका फैसला न्यायिक संस्थानों की अखंडता को बनाए रखते हुए कानून के विकास में योगदान देगा।
10. क्या होगा आगे का रास्ता?
अगर सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को जमानत देती है, तो यह उनके लिए एक बड़ी राहत होगी। लेकिन अगर अदालत उनकी जमानत याचिका खारिज करती है, तो उन्हें निचली अदालत में जमानत की मांग करनी होगी। इसके अलावा, उन्हें ED और CBI के मामलों का सामना भी करना पड़ेगा।