प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने बुधवार को “वन नेशन, वन इलेक्शन” प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस कदम का उद्देश्य लोकसभा और राज्य चुनावों को एक साथ कराने का है, जिससे चुनावी खर्च कम हो सके और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में वोटिंग प्रक्रिया में आने वाली प्रशासनिक बाधाओं को कम किया जा सके। हालाँकि, सरकार इस बिल को शीतकालीन सत्र में लाने के लिए किसी दबाव में नहीं है, और इससे पहले विपक्ष के साथ सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है।
यह फैसला पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट के बाद आया। समिति ने अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को सौंपी, जिसके बाद केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह, अर्जुन राम मेघवाल और किरेन रिजिजू को विपक्षी दलों से बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इस फैसले के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने इसे लोकतंत्र को और अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह कदम संघीय ढांचे को कमजोर करेगा और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाएगा।
“वन नेशन, वन इलेक्शन” के तहत सरकार चुनावों को दो चरणों में लागू करने की योजना बना रही है। पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, और दूसरे चरण में पंचायत और नगर पालिका चुनावों को 100 दिनों के भीतर आयोजित किया जाएगा।