मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम संभांग के परिवहन विभाग से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। मामला बस मालिक की वाहन टैक्स चोरी और परिवहन विभाग की मिलीभगत का है। जिसके अंतर्गत वाहन क्रमांक MP 04 PA 1800, वाहन क्रमांक MP 04 PA 2484, वाहन क्रमांक MP 47 P 0135, वाहन क्रमांक MP 47 P 0164 , ये सभी बसे टैक्स चोरी और नियम विरुद्ध नॉन यूज का दुरुपयोग करके 3-4 वर्ष वाहन को खड़ा कर शासन को चुना लगाने का काम कर रही है, या यूं कहे की परिवहन विभाग से बस मालिक के व्यक्तिगत संबंध होने के कारण बस मालिक और परिवहन विभाग के अधिकारी मिलकर मध्यप्रदेश सरकार को चुना लगा रहे है। यह परिवहन विभाग के खुलेआम भ्रष्टाचार करने का सर्वोच्च उदाहरण है। इस बस मालिक के 5 वाहनों पर पहले भी शिकायत की जा चुकी है लेकिन विभाग ने इस पर कोई कार्यवाई नही की, जो की समय पर टैक्स भरने वाले बस मालिकों के साथ अन्याय है।
1 वर्ष में 2 माह ही नॉन यूज का प्रावधान है, पर इनकी बसे 4 साल से नॉन यूज पर है। इनके जिन वाहनों पर स्थाई परमीट पर टैक्स बाकी है, उन्ही समयचक्रों (बस संचालन का समय) पर दूसरे वाहनों पर अस्थाई परमीट लेकर बसों को चलाया जा रहा है जिससे शासन को 45 लाख तक का चूना लगाया जा रहा है। आरटीओ विभाग भोपाल और होशंगाबाद में शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई जिससे स्पष्ट होता है की अधिकारी टैक्स की चोरी करवाके बस मालिक से कीमत लेकर, उसे लाभ पहुंच कर अपनी जेब भर रहे है।
वाहन क्रमांक MP 04 PA 1800 पर स्थाई परमिट 1 दिसंबर 2019 को नवीनीकरण किया गया जिसकी वेधता 30 नवंबर 2024 तक है। पर इस बस पर आज तक कोई परमिट और टैक्स जमा नहीं किया गया जो की आंकड़ों में 18 से 20 लाख रुपए होता है। इस बस पर टैक्स बाकी होने के बावजूद परिवहन विभाग नर्मदापुरम द्वारा अस्थाई परमीट जारी कर दिया गया । स्थाई परमिट होने के बावजूद वैधता अवधी से पहले अस्थाई परमिट देने का क्या मतलब है, इस प्रकरण से विभाग के अधिकारी का निज लाभ साफ नजर आता है जो विशेष बस मालिक को लाभ पहुंचा रहा है। ऐसे अधिकारी और बस मालिक, बसों जैसे डेली पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बड़ा खतरा है।
इस मामले की गंभीर जांच होनी चाहिए। और गैरकानुनी तरीके से चलाए जा रहे वाहनों को निरस्त करके उचित जुर्माना लगाना चहिए।