मध्यप्रदेश के भोपाल और नर्मदापुरम के परिवहन विभाग में कईं बार एक बस मालिक के वाहनों की टैक्स चोरी के संदर्भ में शिकायते की गई, पर ऐसा जान पड़ता है की विभाग के अधिकारी के कानों में जूं तक नहीं रेंगती। इन शिकायतों के जवाब में किसी प्रकार का निराकरण अभी तक नही किया गया हैं। और इसमें कोई हैरानी वाली बात नही, क्योंकि अधिकारियों के इस रव्व्ये से ये स्पष्ट है की उन्होंने भ्रष्टाचार में स्वयं अपने हाथ गंदे किए हुए है।
शिकायत कर्ता ने आज पुनः परिवहन विभाग को पत्र लिखकर एक बार फिर शिकायत दर्ज की है और अगर इस बार भी इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई तो शिकायत कर्ता ने दावा किया है की वह इस प्रकरण को उच्च न्यायालय एवम केंद्रीय परिवहन मंत्री तक ले जाएंगे जिसकी एक कॉपी वहां पहले से ही जमा की जा चुकी है।
शिकायत के अंतर्गत वाहन क्रमांक MP 04 PA 1800, MP 04 PA 2484, MP 04 PA 2184, MP 04 PA 1150, MP 47 P 0135, MP 47 P 0164 , MP 47 P 0168 ये सभी बसे 1 ही परिवार की अलग अलग लोगों के नाम पंजीकृत हैं उनमें सुरेंद्र तनवानी व अन्य जिनपर टैक्स चोरी और नियम विरुद्ध नॉन यूज का दुरुपयोग करके 39 माह से शासन को चुना लगाने का काम कर रहें है, या यूं कहे की परिवहन विभाग भोपाल और नर्मदापुरम से बस मालिक के व्यक्तिगत संबंध होने के कारण बस मालिक और परिवहन विभाग के अधिकारी मिलकर मध्यप्रदेश सरकार को चुना लगा रहे है। इन बस मालिक के लगभग 5 से 6 वाहनों पर पहले भी शिकायत की जा चुकी है लेकिन विभाग ने इस पर कोई कार्यवाई नही की।
1 वर्ष में 2 माह ही नॉन यूज (k form) का प्रावधान है वो भी उचित स्तिथि में जबकि इनकी बसे परमिट पर होने के बाबजूद भी लगभग 4 साल से नॉन यूज पर है । इनके जिन वाहनों पर स्थाई परमीट पर टैक्स बाकी है, उन्ही समयचक्रों (बस संचालन का समय) पर दूसरे वाहनों पर अस्थाई परमीट लेकर बसों को चलाया जा रहा है जिससे शासन को लगभग 45 से 50 लाख तक का चूना लगाया जा रहा है । आरटीओ विभाग भोपाल और होशंगाबाद में शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई जिससे स्पष्ट होता है की अधिकारी की मिलीभगत से टैक्स की चोरी करवाके बस मालिक से कीमत लेकर, उसे लाभ पहुंच कर अपनी जेब भर रहे है ।
हाल ही में वाहन क्रमांक MP 04 PA 1800 पर स्थाई परमिट 1 दिसंबर 2019 को नवीनीकरण किया गया जिसकी वेधता 30 नवंबर 2024 तक है । पर इस बस पर दिसंबर 2019 से आज तक कोई परमिट या अन्य टैक्स जमा नहीं किया गया जो की आंकड़ों में 13 से 17 लाख रुपए होता है । इस बस पर टैक्स बाकी होने के बावजूद भोपाल आरटीओ द्वारा बिना टैक्स का आकलन किए बिना फर्जी कर प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया जिसपर परिवहन विभाग नर्मदापुरम द्वारा अस्थाई परमीट जारी कर दिया गया । स्थाई परमिट होने के बावजूद वैधता अवधी से पहले अस्थाई परमिट देने का क्या मतलब है, इस प्रकरण से विभाग के अधिकारी का निज लाभ साफ नजर आता है जो विशेष बस मालिक को लाभ पहुंचा रहा है। ऐसे अधिकारी और बस मालिक, बसों जैसे डेली पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बड़ा खतरा है ।
इस मामले की गंभीर जांच होनी चाहिए। गैरकानुनी तरीके से चलाए जा रहे वाहनों को निरस्त करके उचित जुर्माना लगाना चाहिए। समय रहते कानूनी तरीके को नहीं अपनाए जाने पर इसके विपरित परिणाम विभाग और बस मालिक दोनो को ही भुगतने पड़ सकते है।