इस्लामाबादः पड़ोसी पाकिस्तान अब पूरी तरह दरिद्र हो गया है। उसके पास अपनी जनता के जीवन को निर्वहन करने के लिए बिलकुल पैसे नहीं हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पाकिस्तान भीख का कटोरा लेकर भटकेगा। लिहाजा अब तीसरी बार पाकिस्तान भीख का कटोरा लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास पहुंच गया है। आईएमएफ पाकिस्तान को कंगाली से निकालने के लिए 7 बिलियन डॉलर का नया कर्ज देने को राजी हो गया है। मगर पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा है कि इसके लिए देश की जनता को संक्रमणकालीन दर्द से गुजरना होगा। आखिरकारी ये दर्द कौन सी बला है, वह भी आपको आगे बताएंगे। मगर उससे पहले जान लीजिए की पाकिस्तान की ऐसी खस्ता हालत हुई कैसे?
दरअसल पाकिस्तान आतंक की नर्सरी चलाने के लिए जाना जाता है। मगर आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार की सख्ती और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की घेराई किए जाने के बाद उसको मिलने वाली आतंकी फंडिंग कम हो गई। इसके चलते पाकिस्तान को खाने के लाले पड़ने लगे। रही-सही कसर बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं ने पूरी कर दी। अब पाकिस्तान दाने-दाने को मोहताज हो गया है। हालांकि उसके लिए राहत की बात ये है कि उसकी अर्थव्यवस्था पिछली गर्मियों में डिफॉल्ट के करीब आने के बाद से स्थिर हो गई है। पाकिस्तान अब अपने भारी कर्ज को चुकाने के लिए आईएमएफ के बेलआउट पैकेज और मित्र देशों के ऋण पर निर्भर है, जो इसके वार्षिक राजस्व का आधा हिस्सा निगल जाता है।
क्या है संक्रमण कालीन दर्द
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने स्थानीय प्रसारक जियो न्यूज को बताया कि यह कर्ज लेने के बाद आईएमएफ की कड़ी शर्तें भी लागू करनी पड़ेंगी। इससे जनता को “संक्रमणकालीन पीड़ा होगी। यह संक्रमणकालीन दर्द आईएमएफ की शर्तों की वजह से जनता पर पड़ने वाला महंगाई का भारी-भरकम बोझ होगा। वित्त मंत्री ने कहाकि अगर हमें इसे अंतिम कार्यक्रम बनाना है, तो हमें संरचनात्मक सुधार करना होगा।” आईएमएफ ने एक बयान में कहा कि वह लगभग 1 अरब डॉलर का “तत्काल संवितरण” जारी करेगा। आईएमएफ पाकिस्तान मिशन के प्रमुख नाथन पोर्टर ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, “पिछले साल पाकिस्तान में आर्थिक स्थिरता की बहुत स्वागत योग्य वापसी देखी गई है।”
उन्होंने कहा, “अब पाकिस्तान के सामने चुनौती स्थिरता की इस नई भावना से आगे बढ़ने और मजबूत और निरंतर विकास की ओर बढ़ने की है, जिसके लाभ अधिक व्यापक और समान रूप से समाज में साझा किए जाएं।” बुधवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर बोलते हुए, प्रधान मंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि यह सौदा सऊदी अरब, चीन और संयुक्त अरब अमीरात के “जबरदस्त समर्थन” के कारण हुआ। (इनपुट-एएफपी)