राम मंदिर का प्राणप्रतिष्ठा समारोह भारतीय इतिहास में एक अद्वितीय और उत्कृष्ट क्षण माना जा रहा है। यह क्षण विशेष रूप से भगवान राम के भक्तों के लिए एक सपने की पूर्ति का रूप धारित कर रहा है।
इसी बीच समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या जो अपने सनातन विरोधी बयानों को लेकर चर्चा में हैं ने कहा है की अगर पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा करने से पत्थर जीवित होकर भगवान बन जाता है तो फिर मुर्दों की भी प्राण प्रतिष्ठा करने से वो जिंदा हो जाएंगे। इस तरह के भड़काऊ बयानों का संत समाज ने कड़ा विरोध किया हैं और कहा है की स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोगो को समाज में रहने का अधिकार नहीं जिनकी बुद्धि विपरीत हो गई है ।
राम मंदिर का निर्माण महत्वपूर्ण और चिरस्थायी प्रयास था, जिसका आदान-प्रदान बड़े समर्पण और आस्था भरे मनोबल से हुआ। प्राचीन काल से ही भगवान राम के अनुयायियों की मांग थी कि उनके लिए एक उच्चतम स्थान पर मंदिर बनाया जाए, जो उनके अवतार की महिमा को प्रकट करता हो।
प्राणप्रतिष्ठा समारोह ने भारतीय समाज को एकता और सामरिकता की भावना के साथ जोड़ दिया। इस महत्वपूर्ण घड़ी में, भगवान राम के भक्तों ने राष्ट्रभक्ति और धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से एक साथ होकर मंदिर के निर्माण का समर्थन किया।
इस समारोह ने भारतीय सांस्कृतिक विरासत को और भी मजबूती से महसूस कराया है और साथ ही विश्व को एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का दर्पण प्रदान किया है।
राम मंदिर का प्राणप्रतिष्ठा समारोह ने न केवल भारतीय लोगों को एकता और धार्मिक सांगठन का अभास कराया है, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया का प्रतीक है जो भगवान की भक्ति में समर्पित है और सभी को मिलकर समृद्धि और शांति की प्राप्ति की दिशा में प्रेरित कर रहा है।
परंतु विपक्ष के अलग बोल बोल रहें है। कई विपक्षी नेता दूसरे मंदिरों के दर्शन के लिए गए जहा उनकी आस्था है । पर स्वामी प्रसाद के इस बयान के बाद उन्हें किसी मंदिर में प्रवेश मिलना मुश्किल है। माना जा रहा है की इस बयान के बाद स्वामी ने समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है। जिसका सीधा असर पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में होगा।